किसी भी कार्य के परिणाम में यह हो सकता है कि एक नजर से वहां लाभ हुआ हो व अन्य दृष्टि से हानि हुआ हो। पर स्थिति के अनुसार आवश्यकता तथा हुए लाभ व हानि के तुलनात्मक अध्ययन कर ही यह एक बात (निर्णय के रूप में) कहा जा सकता है कि वहां लाभ हुआ या हानि।
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LS-52 / 04101001
1 comment:
सत्कर्म की प्रेरणा के लिये आभार !!
-- शास्त्री जे सी फिलिप
-- हिन्दी चिट्ठाकारी अपने शैशवावस्था में है. आईये इसे आगे बढाने के लिये कुछ करें. आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!
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